गुरुवार, 14 मार्च 2013

परिरुप और विकास पुनरीक्षण, सत्यापन और वैधीकरण



यह बताएं कि क्या परिरुप और विकास पुनरीक्षण, सत्यापन और वैधीकरण के उद्देश्य एक से होते हैं या अलग-अलग होते हैं? क्या इन्हें एक साथ किया जाना चाहिये या अलग-अलग? क्या इनके अभिलेख एक साथ या अलग-अलग रखे जाने चाहिये?



अंतरराष्ट्रीय मानक आईएसओ 9001:2008 के पैरा 7.3.1 के अंत में एक नई टिप्पणी को जोड़ा गया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि परिरुप और विकास पुनरीक्षण, सत्यापन और वैधीकरण के उद्देश्य अलग-अलग होते हैं. उत्पाद और संस्था के लिए जैसा उचित हो, परिरुप और विकास पुनरीक्षण, सत्यापन और वैधीकरण अलग-अलग या किसी संयोजन के साथ किए जां सकते हैं. इसी प्रकार इनके अभिलेख भी अलग-अलग या किसी संयोजन के साथ रखे जां सकते हैं.

इस लघु लेख में दी गयी जानकारी आपको कैसी लगी? कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करायें।

शुभकामनाओं सहित,

केशव राम सिंघल

साभार - केशव राम सिंघल व डा. दिव्या सिंघल द्वारा संपादित 'आईएसओ ९००१:२००८ गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली पर प्रश्नोत्तर संदर्शिका', जिसे प्राप्त करने के लिए निम्न लिंक देखें -

http://iso9001awareness.blogspot.com/2011/07/management-systems-awareness.html

हिंदी में आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली पर जानकारी देने वाला पहला ब्लॉग ....

कृपया अधिक से अधिक लोगों और संस्थाओं तक इस ब्लॉग की जानकारी भेजकर 'गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली' पर जागरूकता बढाने के हमारे प्रयास में सहभागी बनें.

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