सोमवार, 15 अगस्त 2011
अंतर्राष्ट्रीय मानक आईएसओ ९००१:२००८ के अनुसार गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली की सामान्य अपेक्षाएं क्या हैं?
गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली की सामान्य अपेक्षाएं अंतर्राष्ट्रीय मानक आईएसओ ९००१:२००८ के पैरा ४.१ में वर्णित हैं. मानक के इस पैरा के अनुसार संस्था को निम्न सुनिश्चित करना जरुरी है :-
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली को संस्थापित करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली को प्रलेखित करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली को कार्यान्वित करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली को संपोषित करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के प्रभावीकरण का लगातार सुधार करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के लिए आवश्यक क्रियाओं को तय करना,
- संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के लिए सर्वत्र तय की गई प्रक्रियाओं का अनुप्रयोग, तय की गई प्रक्रियाओं के अनुक्रम और अन्योन्यक्रिया को निर्धारित (तय) करना,
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि संस्था में प्रक्रियाओं का संचालन और नियंत्रण दोनों प्रभावी हैं, आवश्यक मापदंड और क्रम-विधियाँ तय करना,
- तय की गई प्रक्रियाओं के संचालन और निगरानी (मॉनिटरिंग) को सहारा देने के लिए आवश्यक संसाधनों और सूचना की प्राप्यता सुनिश्चित करना,
- तय की गई प्रक्रियाओं की निगरानी (मॉनिटरिंग) करना, जहाँ उचित हो मापन करना और विश्लेषण करना,
- सुनियोजित परिणामों को प्राप्त करने और तय की गई प्रक्रियाओं में लगातार सुधार के लिए आवश्यक कार्रवाई कार्यान्वित करना.
मानक के इस पैरा में 'अनुप्रयोग' के लिए मानक के पैरा १.२ का सन्दर्भ देखना वर्णित है.
संस्था द्वारा तय की गई प्रक्रियाओं का प्रबंधन आईएसओ ९००१:२००८ मानक में वर्णित अपेक्षाओं के अनुसार किया जाना जरुरी है. जहाँ संस्था किसी प्रक्रिया के लिए बाह्य स्रोत चुनती है, जो अपेक्षाओं के अनुसार उत्पाद अनुरूपता को प्रभावित करती है तो आईएसओ ९००१:२००८ मानक की अपेक्षाओं के अनुसार संस्था को ऐसी प्रक्रियाओं पर नियंत्रण सुनिश्चित करना आवश्यक है. साथ ही संस्था को ऐसी बाह्य स्रोत प्रक्रियाओं पर गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के अंतर्गत लगने वाले नियंत्रण के प्रकार और नियंत्रण के फैलाव (सीमा) को परिभाषित करना आवश्यक है.
आईएसओ ९००१:२००८ मानक के पैरा ४.१ के अंत में तीन टिप्पणियाँ वर्णित हैं.
पहली टिप्पणी में यह स्पष्ट किया गया है कि गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के लिए पैरा ४.१ में वर्णित आवश्यक प्रक्रियाओं में प्रबंधन क्रियाकलाप, संसाधनों की व्यवस्था, उत्पाद उपलब्धि, और मापन, विश्लेषण और सुधार के लिए प्रक्रियाएं शामिल हैं.
दूसरी टिप्पणी में 'बाह्य स्रोत प्रक्रिया' को परिभाषित किया गया है कि 'बाह्य स्रोत प्रक्रिया' वह प्रक्रिया है जो संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के लिए संस्था के लिए जरुरी है और जिसे संस्था किसी बाहरी दल द्वारा पूरा करने के लिए चुनती है.
तीसरी टिप्पणी में यह स्पष्ट किया गया है कि बाह्य स्रोत प्रक्रियाओं पर लगाए जाने वाले नियंत्रण सुनिश्चित करने पर संस्था सभी ग्राहक, वैधानिक और नियामक अपेक्षाओं के अनुपालन के उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं होती है. इसका अर्थ यह है कि बाह्य स्रोत प्रक्रियाओं पर नियंत्रण के साथ सभी ग्राहक अपेक्षाओं और वैधानिक व नियामक अपेक्षाओं की अनुपालना का उत्तरदायित्व भी संस्था का ही है. इसी टिप्पणी में यह बताया गया है कि 'बाह्य स्रोत प्रक्रिया' पर नियंत्रण के प्रकार और नियंत्रण के फैलाव (सीमा) पर अनेक तत्वों का प्रभाव पड़ सकता है.
इस लघु लेख में दी गयी जानकारी आपको कैसी लगी? कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करायें.
शुभकामनाओं सहित,
केशव राम सिंघल
साभार - केशव राम सिंघल व डा. दिव्या सिंघल द्वारा संपादित ' आईएसओ ९००१:२००८ गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली पर प्रश्नोत्तर संदर्शिका', जिसे प्राप्त करने के लिए निम्न लिंक देखें -
http://iso9001awareness.blogspot.com/2011/07/management-systems-awareness.html
हिंदी में आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली पर जानकारी देने वाला पहला ब्लॉग ....
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