गुरुवार, 25 मई 2017

जीवन की गुणवत्ता के लिए मानकीकरण जरुरी (Standardization necessary for quality of life)


जीवन की गुणवत्ता के लिए मानकीकरण जरुरी (Standardization necessary for quality of life)



आम जीवन में मानक और मानकीकरण (standardization) का बहुत महत्व है. मानक व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच आपसी समझ का आधार प्रदान करते हैं और एक उपकरण के रूप में जीवन की हर गतिविधि, जैसे संचार, माप, प्रबंध प्रणाली, वाणिज्य, विनिर्माण आदि, में मानकों का बहुत महत्व है और इनका उपयोग किया जाता है. आज हर जगह किसी ना किसी रूप में आप मानक की उपस्थिति को देखेंगे और यह अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आज जीवन की गुणवत्ता के लिए मानकीकरण बहुत जरुरी है.


इस लेख के माध्यम से गुणवत्ता से संबंधित कुछ बिंदुओं पर चर्चा करने का प्रयास किया जाएगा. आपके मस्तिष्क में कुछ सवाल उठ खड़े होते हैं, जैसे यह आईएसओ (ISO) क्या है, यह आईएसओ 9001 (ISO 9001) क्या है, इसकी हमें क्यों जरूरत है, आदि.


सर्वप्रथम हम विचार करें कि गुणवत्ता (Quality) क्या है. गुणवत्ता (Quality) एक ऐसा शब्द है, जिसे हम रोज़ उपयोग में लाते हैं. हम अपने दूधवाले से कहते हैं कि कल जो आपने दूध दिया वह क्वालिटी (गुणवत्ता) का नहीं था, उसमें पानी अधिक था. हम आपसी बातचीत में कहते हैं - उस दुकान पर वह चीज क्वालिटी की है. हम क्वालिटी को समझते हैं, पर इसे परिभाषित करना थोड़ा कठिन सा लगता है. गुणवता (क्वालिटी) एक तरल अवधारणा है. यह एक सतत् आगे बढ़ता लक्ष्य है. ग्राहक की जरूरतों से अनुरूपता और पालना, ग्राहक समाधान, ग्राहक संतोष और ग्राहक के आनंद की अनुभूति को गुणवता (क्वालिटी) के रूप में परिभाषित किया जाता है. आम आदमी गुणवता (क्वालिटी) को समझता है और इस शब्द को दिन-प्रतिदिन उपयोग में लाता है. यदि कोई दुकानदार, प्रदाता या वितरक आपको आपके मन मुताबिक़ वस्तु या सेवा नहीं देता है तो आप क्या करते हैं. आप उस दुकानदार, प्रदाता या वितरक से भविष्य में वस्तु या सेवा खरीदना बंद कर देते हैं और अपने मनपसंद वस्तु/सेवा पाने के लिए नए दुकानदार, प्रदाता या वितरक की तलाश कर लेते हैं. इससे किसको नुकसान होता है. उस दुकानदार, प्रदाता या वितरक को नुकसान होता है , जो आपके मन-मुताबिक़ वस्तु/सेवा आपको नहीं दे पाता है. उस दुकानदार, प्रदाता या वितरक की बिक्री कम हो जाती है और इसका असर उसके व्यवसाय और लाभ पर पड़ता है. अतः दुकानदार, प्रदाता या वितरक के लिए गुणवत्ता वस्तु/सेवा देना एक जरुरत बन गयी है. आज विश्व भर में संस्थाएं गुणवत्ता (क्वालिटी) पर ध्यान देने लगी हैं.


सन 1985 के बाद भारत सरकार की नीति में अनेक परिवर्तन आए हैं. उदार दृष्टिकोण, आधुनिकीकरण, तकनीकी सुधार, ऊर्जा बचत, निर्यात प्रोत्साहन, ग्राहक संरक्षण, पर्यावरण नियंत्रण, निजीकरण, बहु-राष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश, विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा, विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्रभाव, गुणवत्ता प्रमाणीकरण को प्रोत्साहन आदि अनेक बिंदु हैं, जिनपर हमारी सरकार का ध्यान गया है. विश्व व्यापार संगठन का आगमन 1 जनवरी 1995 को हुआ. इस संगठन के गठन से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है, आयात-निर्यात नियमों का सरलीकरण हुआ है तथा गुणवत्ता (क्वालिटी) पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है.


अब हम मूल प्रश्नों की तरफ आते हैं. पहला सवाल - यह आईएसओ क्या है? अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था 'इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन' (International Organization for Standardization) को हम संक्षेप में आईएसओ (ISO) कहते हैं. आईएसओ की स्थापना 1947 में हुई थी. इसका सचिवालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है. मानकीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था (आईएसओ) अंतरराष्ट्रीय मानकों का सबसे बड़ा विकासक (developer) और प्रकाशक (publisher) है. यह एक स्वतंत्र और गैर-सरकारी संस्था है, जो अपने सदस्यों के सहयोग से संचालित होती है. इसका काम अंतरराष्ट्रीय मानक विकसित कर प्रकाशित करना है, जो पूरे विश्व में लागू होते हैं. आईएसओ ने अब तक 21,500 से अधिक मानक विकसित कर प्रकाशित किए हैं. इस संस्था से सम्बंधित जानकारी इसकी वेबसाइट पर देखी जा सकती है.

वर्तमान में इस संस्था के 163 देश सदस्य हैं, जिनका प्रतिनिधित्व हरेक सदस्य देश की एक राष्ट्रीय मानक संस्था करती है. भारत भी इस संस्था का सदस्य है. भारत की मानक संस्था 'भारतीय मानक ब्यूरो' (Bureau of Indian Sandards) इस अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था आईएसओ में भारत का प्रतिनिधित्व करती है. इस संस्था में मानकों के विकास का कार्य संस्था की तकनीकी समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें विशेषज्ञ मानक संस्थाओं या संपर्क संस्थाओं द्वारा नामित किए जाते हैं. गुणवत्ता प्रबंधन और गुणवत्ता आश्वासन के लिए तकनीकी समिति आईएसओ/टीसी 176 है और इसकी उपसमिति आईएसओ/टीसी 176/एससी 2 अन्य मानकों सहित आईएसओ 9001 और आईएसओ 9004 के लिए उत्तरदायी है.


अब दूसरा प्रश्न - यह आईएसओ 9001 क्या है? आईएसओ 9001 एक अंतरराष्ट्रीय मानक है, जो गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली से सम्बंधित है. इस मानक में गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली की अपेक्षाएं दी गयी हैं. आईएसओ 9001/9002/9003 मानक श्रृंखला पहली बार 1987 में प्रकाशित हुई थी और फिर 1994 में संशोधित हुई. सन् 2000 में 15 दिसंबर 2000 को आईएसओ 9001:2000 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक के प्रकाशन के साथ इसमें एक बड़ा परिवर्तन आया. 15 नवंबर 2008 को इस मानक का चौथा संस्करण आईएसओ 9001:2008 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली और पाँचवाँ संस्करण आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली 15 सितंबर 2015 को प्रकाशित हुआ.


इस प्रकार, आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली ने 25 से अधिक वर्षों की अपनी यात्रा पूरी कर ली है तथा इसी वर्ष (2017 में) यह 30 वर्ष की अपनी यात्रा पूरी कर लेगी. गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली में बहुत से मानक हैं, पर निम्न तीन मानक प्रमुख हैं -
- आईएसओ 9000:2015, गुणवत्ता प्रबंध प्रणालियाँ - मूल सिद्धांत और शब्दावली,
- आईएसओ 9001:2015, गुणवत्ता प्रबंध प्रणालियाँ - अपेक्षाएं,
- आईएसओ 9004:2009, गुणवत्ता प्रबंध प्रणालियाँ - संस्था की निरंतर सफलता के लिए प्रबंधन - एक गुणवत्ता प्रबंधन दृष्टिकोण


यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रमाणीकरण के लिए योग्य मानक आईएसओ 9001:2015 है. संस्थाएं आईएसओ 9004:2009 को लागू तो कर सकती हैं, पर यह मानक प्रमाणीकरण के लिए नहीं है. आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक विश्व का सबसे अधिक प्रचलित मानक है. एक सर्वे के अनुसार यह मानक 187 देशों में प्रचलित है तथा ग्यारह लाख से अधिक संस्थाओं ने इसका प्रमाणन लिया है. अनेक संस्थाएं बिना प्रमाणन लिए भी आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक किर्यान्वित करती हैं, क्योंकि प्रमाणन लेना इस मानक की कोई अपेक्षा या शर्त नहीं है.


किसी संस्था में आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक की अपेक्षाओं को लागू कर संस्था में गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली को मजबूत बनाया जा सकता है और जब किसी संस्था की गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मजबूत होती है तो निश्चित ही संस्था के उत्पादों की गुणवत्ता सुधरती है, ग्राहक संतुष्टि का स्तर ऊंचा होता है. अनेक कारण हैं जो संस्थाओं में आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू करने के लिए प्रेरित , प्रोत्साहित या बाध्य करती है, जैसे बढ़ता कारोबार, संस्था के लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति कर्मचारिओं में प्रेरणा जागरूकता, संस्था के भीतर बेहतर सम्प्रेषण, लगातार सुधार, संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल, कम लागत, छोटा चक्रबार (shorter cycle times ), सुधार, संगत और वांछित परिणाम, लगातार विकास, विश्लेषण के आधार पर निर्णय.


भारत सरकार के बदलते आर्थिक सुधार कार्यक्रम के परिणाम स्वरूप अब विदेशों के साथ आयात-निर्यात में बढ़ोतरी हुयी है. साथ ही ग्राहक की अपेक्षाएं बदल रही हैं. ग्राहक उत्पाद की उच्च गुणवत्ता के साथ कम कीमत और उत्पाद की सही उपलब्धता में निरंतर सुधार चाहने लगे हैं. इसमें आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक बड़ी मदद करता है. अपने उत्पाद और अपनी प्रणाली में लगातार सुधार के लिए आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू करना संस्थाओं के लिए एक आवश्यकता बन गयी है.



भारतीय मानक ब्यूरो

भारत की राष्ट्रीय मानक संस्था 'भारतीय मानक ब्यूरो' अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था 'आईएसओ ' में भारत का प्रतिनिधित्व करती है. इस संस्था के बारे में अधिक जानकारी आप इस संस्था की वेबसाइट पर देख सकते हैं. यह संस्था the Bureau of Indian Standards Act, 1986 के प्रावधानों के अधीन कार्य करती है. इसके उद्देश्य निम्न हैं -
- मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन का सुसंगत विकास,
- मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए नई कोशिशें प्रदान करना, और
- मानकों की मान्यता के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति विकसित करने और उन्हें उत्पादन और निर्यात के विकास के साथ एकीकृत करना.

भारतीय मानक ब्यूरो ने अंतरराष्ट्रीय मानकों को राष्ट्रीय मानक के रूप में स्वीकृत कर प्रकाशित किए हैं.


हॉलमार्किंग

हॉलमार्किंग कीमती धातु के लेखों में कीमती धातु की आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग है. हॉलमार्क आधिकारिक तौर पर कई देशों में उपयोग किए जाते हैं, जो धातु की शुद्धता की गारंटी देते हैं. हॉलमार्किंग स्कीम के सिद्धांत का उद्देश्य लोगों को विरूपता के विरुद्ध रक्षा करना है और निर्माताओं को सुंदरता के कानूनी मानकों को बनाए रखने के लिए बाध्य करना है. भारत में हॉलमार्किंग के दायरे के तहत वर्तमान में दो कीमती धातुएं सोने और चांदी के रूप में लाई गयी हैं. भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना को हॉलमार्किंग पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ गठबंधन किया गया है. इस योजना के मुताबिक, हॉलमार्किंग योजना के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा जौहरी को लाइसेंस दिया जाता है. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणित जौहरी, किसी भी भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) मान्यता प्राप्त आकलन और हॉलमार्किंग केंद्र से अपने ज्वेलरी को हॉलमार्क करवा सकते हैं.


भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की उत्पाद प्रमाणन योजना

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की उत्पाद प्रमाणन योजना ग्राहक को उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा और विश्वसनीयता की तृतीय पक्ष की गारंटी प्रदान करती है. किसी भी उत्पाद पर 'आईएसआई' (ISI) प्रमाणीकरण चिह्न, मानक मार्क के रूप में जाना जाता है और इसकी उपस्थिति विनिर्देशों के अनुरूप होने का आश्वासन है. बाजार और कारखाने द्वारा तैयार किए गए नमूनों की आश्चर्यजनक जांच और परीक्षण द्वारा लाइसेंसधारी के प्रदर्शन की नियमित निगरानी द्वारा अनुरूपता सुनिश्चित की जाती है. मानक को इसकी अनुरूपता सुनिश्चित करने के बाद निर्माता को स्व-प्रमाणित उत्पादों को प्रमाणित करने की अनुमति दी जाती है. अपने निगरानी संचालन के जरिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणित वस्तुओं की गुणवत्ता पर बारीकी से निगरानी रखता है. उत्पाद प्रमाणन योजना राज्य की राजधानियों या प्रमुख औद्योगिक शहरों और शाखा कार्यालयों के कामकाज की देखरेख के 5 क्षेत्रीय कार्यालयों में स्थापित 34 शाखा कार्यालयों के एक नेटवर्क के माध्यम से संचालित होती है. हालांकि, यह योजना स्वभाविक रूप से स्वैच्छिक है, भारत सरकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, सुरक्षा, बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं और जन उपभोग के विचारों पर विभिन्न अधिनियमों के माध्यम से समय-समय पर विभिन्न अधिनियमों के तहत जारी किए गए आदेशों के माध्यम से विभिन्न उत्पादों पर अनिवार्य प्रमाणीकरण लागू किया गया है. एक सूचना के अनुसार अधिसूचित 30 इलेक्ट्रॉनिक और आईटी उत्पादों के लिए निर्माता पंजीकरण अनिवार्य है. आईएसआई चिह्न के नकली मार्किंग / दुरुपयोग के खिलाफ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बीआईएस अधिनियम 1986 की धारा 33 (1) के तहत में दंड प्रावधान मौजूद है.


क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया (क्यूसीआई)

क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया (क्यूसीआई) भारतीय उद्योग के साथ साझेदारी में एक प्रत्यायन संस्था (accreditation body ) स्थापित करने का भारत सरकार का एक अग्रणी प्रयोग है. 1992 से, अनुरूपता मूल्यांकन परिणामों की मान्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य तंत्र स्थापित करने के लिए देश में एक प्रत्यायन संस्था की स्थापना के लिए एक आवश्यकता महसूस की गई थी. प्रयोगशालाओं के संबंध में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक प्रत्यायन संस्था पहले से ही काम कर रही थी. भारत सरकार की मंत्रिमंडल समिति ने 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत गैर-लाभप्रद स्वायत्त संस्था के रूप में भारत की गुणवत्ता परिषद 'क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया' (क्यूसीआई) स्थापित करने का निर्णय लिया, ताकि देश में एक प्रत्यायन ढांचा स्थापित किया जा सके और भारत में राष्ट्रीय गुणवत्ता प्राप्त करने में गुणवत्ता आंदोलन का प्रसार किया जा सके. क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया (क्यूसीआई) से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए आप इसकी वेबसाइट पर देख सकते हैं.


नेशनल सेंटर फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट (एनसीक्यूएम)

नेशनल सेंटर फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट (एनसीक्यूएम) 1985 में राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिष्ठित उद्योगपतियों और पेशेवरों के एक समूह द्वारा समर्पित नॉन-प्रॉफिट (अलाभकारी) संस्था के रूप में स्थापित की गयी थी. आज यह एक प्रमुख व्यावसायिक संस्था है, जो प्रशिक्षण, शिक्षा, सेमिनार, प्रकाशन, अनुसंधान और सलाहकार सेवाओं जैसी सेवाओं के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में गुणवत्ता संस्कृति को बढ़ावा देने में लगी हुई है. यह बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के तहत पंजीकृत एक संस्था है. इस संस्था से सम्बंधित जानकारी इसकी वेबसाइट पर देखी जा सकती है.

- केशव राम सिंघल




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