सोमवार, 12 जून 2017

#20 - आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली जागरूकता - जोखिम-आधारित सोच (Risk-based Thinking) - आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. का अभिन्न भाग


#20 - आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली जागरूकता

जोखिम-आधारित सोच (Risk-based Thinking) - आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. का अभिन्न भाग


आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. मानक में मुख्य परिवर्तन यह है कि एक अलग आवश्यकता के रूप में 'रोकथाम' की जगह यह संस्थापित करना है कि एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के रूप में गु.प्र.प्र. के अभिन्न भाग के रूप में जोखिम पर विचार किया जाए. गु.प्र.प्र. के हर पहलू में जोखिम अन्तर्निहित है. सभी प्रक्रियाओं, कार्यकलापों और प्रणालियों में कुछ जोखिम रहता है. जोखिम-आधारित सोच सभी तरह के जोखिमों को पहचानने, विचार करने और नियंत्रित करने में सहायक है.

पूर्व संस्करण, आईएसओ 9001:2008 गु.प्र.प्र. मानक, में 'निवारक कार्रवाई' पर अलग से अपेक्षा खंड है. पर नए संस्करण, आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. मानक, में जोखिम-आधारित सोच का उपयोग है, जहाँ जोखिमों पर विचार करना अनिवार्य है. प्रतिक्रियाशील होने के बजाए (जैसा कि पूर्व संस्करण में दिखता है), अब यह सक्रिय कार्रवाई है.

यह कुछ ऐसा है कि संस्था जोखिम-आधारित सोच को प्रतिदिन खुद-ब-खुद और नियमित तौर पर करती है. आईएसओ 9001 में जोखिम-आधारित सोच हमेशा रही है, तथापि नए संस्करण, आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. मानक, शुरू से पूरी प्रबंध प्रणाली को जोखिम-आधारित सोच पर जोर देता है. अब निवारक कार्रवाई जोखिम-आधारित सोच में उपस्थित है और आयोजना, संचालन, विश्लेषण और मूल्यांकन गतिविधियों में अन्तर्निहित है.

प्रक्रिया दृष्टिकोण में भी जोखिम-आधारित सोच शामिल है.

आईएसओ 9001:2008 गु.प्र.प्र. मानक के निम्न पैरा और खंड में जोखिम-आधारित सोच प्रत्यक्ष/वर्णित है:

- परिचय (Introduction) - यह पैरा जोखिम-आधारित सोच की अवधारणा को स्पष्ट करता है.
- खंड 4 - अपेक्षाओं के अनुसार संस्थाओं को जोखिमों और अवसरों को सम्बोधित करना.
- खंड 5 - उच्च प्रबंधन के लिए जरूरी कि वह (1) जोखिम-आधारित सोच के उपयोग का उन्नयन करे, और (2) जोखिम और अवसर (जो उत्पाद/सेवा के अनुपालन और ग्राहक संतुष्टि बढ़ाने की योग्यता प्रभावित कर सकते हैं) का निर्धारण और संबोधन सुनिश्चित करें.
- खंड 6 - संस्था के लिए जरूरी है कि (1) जोखिमों और अवसरों को निर्धारित करे, (2) जोखिमों और अवसरों को सम्बोधित करने के लिए कार्रवाईयों की आयोजना करे, (3) यह सुनिश्चित करें कि की गई कार्रवाईयाँ (निर्धारित जोखिमों और अवसरों को संबोधित करने के लिए) उत्पाद/सेवा अनुपालन के संभावित प्रभाव के अनुरूप अवश्य हों.
- खंड 7 - गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के संस्थापन, कार्यान्वयन, संपोषण और लगातार सुधार के लिए आवश्यक संसाधनों (लोग, बुनियादी ढांचा, वातावरण, निगरानी और मापन संसाधनों और ज्ञान) को निर्धारित करें और प्रदान करे (मुहैया करवाएं). गु.प्र.प्र. के हर पहलू में जोखिम अन्तर्निहित है.
- खंड 8 - संस्था के लिए जरूरी है कि वह संचालन प्रक्रियाओं का प्रबंधन करे. गु.प्र.प्र. के हर पहलू में जोखिम अन्तर्निहित है.
- खंड 9 - संस्था के लिए जरूरी है कि वह जोखिमों और अवसरों से संबंधित आकड़ों और सूचनाओं को विश्लेषण और मूल्यांकन करे. प्रबंधन पुनरीक्षण में जोखिमों और अवसरों को सम्बोधित करने के लिए की गयी कार्रवाइयों की प्रभावशीलता शामिल है.
- खंड 10 - संस्था के लिए जरूरी है कि वह अवांछित प्रभाव को सुधारे/रोके/कम करें और आयोजना के दौरान निर्धारित जोखिमों और अवसरों को अद्द्यतन (update) करे.

जोखिम-आधारित सोच उपयोग करने के लाभ

- संस्था में सकारात्मक संस्कृति का उन्नयन जो संस्था के प्रशासन को सुधारता है,
- वैधानिक अपेक्षाओं की पालना करने में संस्था की सहायता करता है,
- उत्पाद/सेवा गुणवत्ता की सुसंगता का भरोसा दिलाता है, और
- ग्राहक विश्वास और संतुष्टि को सुधारता है.

जोखिम-आधारित सोच का उपयोग करना

हमारे मस्तिष्क में पहला प्रश्न आता है की किस प्रकार गु.प्र.प्र. में जोखिम-आधारित सोच का उपयोग करें. सरल है, हमें जोखिमों को पहचानना है, समझना है और फिर उन्हें सम्बोधित करना है. संभावित समस्याओं को पहचानने का जोखिम विश्लेषण एक महत्वपूर्ण कदम है. जोखिम पहचानने और जोखिम विश्लेषण का आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला एक तरीका 'असफलता साधन और प्रभाव विश्लेषण' (Failure Mode and Effect Analysis) है, जिसे संक्षिप्त में 'एफएमईए' कहा जाता है और इसे उत्पाद या प्रक्रिया के डिजायन के दौरान किया जाता है. 'एफएमईए' का उद्देश्य संभावित समस्याओं का पता लगाना है, जो उत्पाद या प्रक्रिया में पैदा हो सकती हैं, गंभीरता से जोखिम के बारे पता लगाना और यह निर्णय लेना कि इस बारे में करना क्या है.

'एफएमईए' प्रक्रिया में चार चरण हैं -
(1) अपने जोखिमों को पहचानना - यह आपकी संस्था के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में विचार-मंथन (brainstorming) द्वारा किया जा सकता है. पैदा हो सकने वाली संभावित समस्याओं की सूची बना लो.
(2) प्रत्येक जोखिम कितनी गंभीर (critical) है निर्धारित करना - आपको यह आकलन करना चाहिए कि जोखिम घटने की संभावना, जोखिम घटने की तीव्रता, और जोखिम घटने का पता लगाने की संभावना क्या है.
(3) जोखिम रैंकिंग करना - आपको यह निर्णय करना चाहिए कि जोखिम की श्रेणी क्या है, क्या जोखिम स्वीकार्य है या अविकार्य है.
(4) कार्रवाईयाँ निर्धारित करना - जोखिम को समझने के बाद अपनी कार्रवाईयाँ निर्धारित करो, क्या करना चाहिए. जोखिम को सम्बोधित करने के लिए कार्रवाईयों की आयोजना करो.

'असफलता साधन और प्रभाव विश्लेषण' (Failure Mode and Effect Analysis) प्रक्रिया सरल है. इसे उपयोग करना आसान है. 'एफएमईए' प्रक्रिया परिणाम देता है, जो स्वीकार्यता निर्धारित करने के लिए आसान है, और इस प्रकार जोखिम कटौती के लिए संसाधन आवंटित करने के लिए ढांचा प्रदान करता है, जिसका आसानी से उपयोग किया जा सकता है. आपको स्पष्ट समझना चाहिए कि 'एफएमईए' प्रक्रिया जोखिम विश्लेषण से निपटने का एक तरीका है, और यह किसी भी तरह से आईएसओ 9001:2015 गु.प्र.प्र. मानक द्वारा अनिवार्य नहीं है की आप इसे अवश्य उपयोग में लाएं. कोई भी विधि जो आपको उपयोगी, प्रासंगिक और कुशल लगती हो, आपको उसे अवश्य उपयोग में लेना चाहिए.

'एफएमईए' प्रक्रिया के बाद, आपको जोखिम को सम्बोधित करना चाहिए -
(१) आयोजना को कार्यान्वित करें - कार्रवाई करें.
(२) कार्रवाई की प्रभावशीलता की जांच करें.
(३) जांच परिणाम के आधार पर अपनी कार्रवाई को सुधारें.

- केशव राम सिंघल

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'Checklist for ISO 9001:2015 QMS' के विवरण के लिए क्लिक करें.




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