संस्थाओं को ग्राहक केंद्रित होना चाहिए
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तुर्की के शहर इंस्तांबुल से दिल्ली आ रही एक फ्लाइट का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एयर होस्टेस और एक यात्री के बीच भोजन को लेकर तीखी बहस हो रही है। एक जानकारी के मुताबिक यह वीडियो 16 नवंबर 2022 की है। इसमें बहस के दौरान एक पैसेंजर एयर होस्टेस से कहता है, "तुम यात्रियों की नौकर हो।" इसका जवाब देते हुए एयर होस्टेस कहती हैं, "मैं एक कर्मचारी हूँ, आपकी नौकर नहीं... मैं आपकी नौकर नहीं हूँ।" इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मैं फिलहाल इस वीडियो की घटना पर कोई विशिष्ट जजमेंट नहीं देना चाहता और न ही यात्री के अशिष्ट बोलने को सहमति देना चाहता, पर अपने अनुभवों के आधार पर यह बताना चाहता हूँ कि संस्थाओं और उनके कर्मचारियों को ग्राहक केंद्रित और ग्राहकोन्मुख होना चाहिए।
एक यात्री अपने लिए विमान के टिकट बुक कराते समय यात्रा के दौरान जैन लंच बुक करता है और यात्रा के दौरान उसे कहा जाता है कि जैन खाना तो उपलब्ध नहीं है, कुछ वैकल्पिक ले लो। यहाँ विमान कंपनी के लिए अपनी व्यवस्था (सिस्टम) को सुधारने कि जरुरत है।
अवयस्क बेटी के बैंक-खाते के लिए उसकी माँ (जो खाता संचालित करती है और उस खाते में जॉइंट अकॉउंट होल्डर भी है) एटीएम कार्ड कि माँग करती है तो बैंक के कर्मचारी द्वारा उसे कहा जाता है कि अवयस्क के खातों में एटीएम देने की व्यवस्था नहीं है। जबकि रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार अवयस्क खातों में एटीएम दिया जा सकता है। यहाँ बैंक को अपनी व्यवस्था सुधारने की जरुरत है। यदि सर्कुलर जारी करने की जरुरत है तो सर्कुलर जारी किया जाना चाहिए और समय-समय पर ऐसे छोटे-छोटे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, जिससे बैंक कर्मचारियों कि जागरूकता बढे।
बैंक का एक डिपोजिटर चाहता है कि उसकी जमा रसीद पर नामांकित व्यक्ति (Nominee) का नाम लिख दिया जाए और बैंक कर्मचारी ग्राहक को यह कहकर टाल देता है कि सिस्टम सपोर्ट नहीं करता नामांकित व्यक्ति (Nominee) का नाम छापना। यहाँ तथ्य यह है कि कर्मचारी की जानकारी में कमी है, जिसे सुधारने कि जरुरत है। यदि सर्कुलर जारी करने की जरुरत है तो सर्कुलर जारी किया जाना चाहिए और समय-समय पर ऐसे छोटे-छोटे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, जिससे बैंक कर्मचारियों कि जागरूकता बढे।
ग्राहक ईमेल से सम्प्रेषण भेजता है और बैंक द्वारा उसे न तो पावती दी जाती है और न ही कोई जवाब। यहाँ बैंक का रवैया किसी भी प्रकार से उचित नहीं कहा जा सकता। यहाँ बैंक को व्यवस्था सुधारने की जरुरत है। जैसे ही बैंक आईडी पर कोई ईमेल पहुँचे, उसके लिए स्वचालित पावती पावती-नंबर के साथ जारी होनी चाहिए जिसमें ग्राहक के ईमेल पर मामले से सम्बंधित जवाब देने के लिए दिनों कि संख्या भी लिखी हो। बैंक का यह कदम निश्चित ही ग्राहक-सेवा में सुधार लाएगा।
मैं एक ही बात फिर दोहराता हूँ - संस्थाओं को ग्राहक केंद्रित होना चाहिए। यदि ग्राहक पर ध्यान नहीं दिया गया तो निश्चित है कि संस्था का भविष्य भी अच्छा नहीं होगा।
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सादर,
केशव राम सिंघल