#03 – सतत विकास लक्ष्यों के लिए आईएसओ/यूएनडीपी दिशानिर्देश - आईएसओ/यूएनडीपी पीएएस 53002:2024
पिछले लेखों में, पाठकों को आईएसओ/यूएनडीपी पीएएस 53002:2024 दस्तावेज़ से परिचित कराया गया था, जिसमें इसके उद्देश्य, 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का अवलोकन, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का महत्व और सतत विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण शामिल है। इस लेख में, हम पीडीसीए (PDCA) चक्र की आधारभूत अवधारणा, साथ ही साथ दिशा-निर्देश दस्तावेज़ से संबंधित कार्य क्षेत्र (Scope), मानक संदर्भ और पदों और परिभाषाओं की जानकारी देंगे।
आधारभूत अवधारणा - पीडीसीए (PDCA) चक्र
आईएसओ/यूएनडीपी पीएएस 53002:2024 दिशा-निर्देश योजना-करें-जाँचें-कार्य करें (PDCA) चक्र पर आधारित हैं, जो प्रबंधन प्रणाली मानकों को लागू करने वाली संस्थाओं द्वारा उपयोग की जाने वाली एक सतत सुधार पद्धति है। प्रक्रियाओं, उत्पादों और सेवाओं में निरंतर सुधार प्राप्त करने के लिए यह अवधारणा महत्वपूर्ण है। पीडीसीए (PDCA) चक्र निरंतर सुधार की ओर उन्मुख संगठनात्मक मानसिकता को बढ़ावा देता है। चक्र के प्रत्येक चरण को निम्नानुसार लागू किया जाता है:
(1) योजना (Plan): सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित उद्देश्यों और उन्हें प्राप्त करने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं को स्थापित करना। जोखिमों और अवसरों की पहचान कर और उनका मूल्यांकन करना। सुनिश्चित करना कि परिणाम संस्था की सतत विकास लक्ष्य नीति और महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप हैं।
(2) करें (Do): प्रक्रियाओं को योजना के अनुसार लागू करना।
(3) जाँच करें (Check): संस्था की सतत विकास लक्ष्य नीति और उद्देश्यों के समक्ष गतिविधियों और प्रक्रियाओं के प्रदर्शन की निगरानी करना और मापना। इस मूल्यांकन के परिणामों की रिपोर्ट करना।
(4) कार्य करें (Act): प्रदर्शन को लगातार बेहतर बनाने और इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए कार्रवाई करना।
कार्य-क्षेत्र (Scope)
आईएसओ/यूएनडीपी पीएएस 53002:2024 दिशा-निर्देशों का खंड 1 दस्तावेज़ के कार्य-क्षेत्र को रेखांकित करता है। यह निम्नलिखित क्षेत्रों में संस्थाओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है:
(1) सतत विकास लक्ष्यों में योगदान का प्रबंधन और अनुकूलन: संस्थाओं को सलाह दी जाती है कि वे संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए अपने प्रयासों को बेहतर तरीके से कैसे प्रबंधित करें।
(2) हितधारकों पर प्रभावों की पहचान करना और उनका प्रबंधन करना: इसमें ग्राहकों, नियामक निकायों, निवेशकों और अन्य जैसे हितधारकों पर संस्था के प्रभाव को प्राथमिकता देना और संबोधित करना शामिल है।
(3) संचालन में सतत विकास को शामिल करना: संस्थाओं को व्यवस्थित और समग्र तरीके से अपनी रणनीतियों, संचालन और निर्णय लेने में स्थिरता को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
(4) सतत विकास लक्ष्य प्रदर्शन को बढ़ाना और प्रदर्शित करना: संस्थाओं को हितधारकों, विशेष रूप से कम पहचाने जाने वाले और कमजोर समूहों पर प्रतिकूल प्रभावों को कम करते हुए सकारात्मक प्रभावों को अधिकतम करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
दिशा-निर्देश वर्तमान सतत विकास लक्ष्यों के साथ-साथ 2030 सतत विकास लक्ष्यों के बाद आने वाले किसी भी भविष्य के वैश्विक लक्ष्यों का समर्थन करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह दस्तावेज़ उद्यमों के लिए यूएनडीपी एसडीजी प्रभाव मानकों के अनुरूप है।
मानक संदर्भ (Normative references)
आईएसओ/यूएनडीपी पीएएस 53002:2024 दिशा-निर्देशों के खंड 2 में मानक संदर्भ शामिल हैं। वर्तमान में, इस दस्तावेज़ में कोई मानक संदर्भ नहीं है।
पद और परिभाषाएँ (Terms and definitions)
इस दिशा-निर्देश दस्तावेज़ का खंड 3 प्रयुक्त शब्दों और परिभाषाओं से संबंधित है। दस्तावेज़ शब्दावली संसाधनों के लिए आईएसओ ऑनलाइन ब्राउज़िंग प्लेटफ़ॉर्म और आईईसी इलेक्ट्रोपीडिया से जुड़ता है। यह दिशा-निर्देशों को समझने के लिए आवश्यक 41 पदों को भी परिभाषित करता है। इनमें से कई शब्द अन्य प्रबंधन प्रणाली मानकों, जैसे आईएसओ 9001:2015 (गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली) और आईएसओ 14001:2015 (पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली) में प्रयुक्त पदों के समान हैं।
अधिक अपडेट और लेख भविष्य में साझा किए जाएँगे।
सादर,
केशव राम सिंघल
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