रिस्क, उन कारणों को कहते हैं जो विश्वसनीय किन्तु सम्भावित हो सकते हैं जिससे लक्ष्य या किसी संकल्प की पूर्ति में व्यवधान या असफलता हो. लक्ष्य का होना किसी भी रिस्क या जोखिम के लिए आवश्यक है. जिसका कोई लक्ष्य या संकल्प ही न हो उसके पूर्ति या न पूर्ति होने से क्या फर्क़ पड़ेगा. जिसका लक्ष्य मृत्यु का हो उसके लिए दुर्घटना एक अवसर है किन्तु जिसका लक्ष्य जीवित रहना है उसके लिए कोई भी बीमारी या अस्वस्थ रहना या दुर्घटनाग्रस्त होना, रिस्क या जोखिम होगा. इसी विषय को गंभीरता से समझने के लिए हिंदी भाषी प्रबंध शास्त्रियों के लिए यह लेख प्रस्तुत किया गया है.
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एक व्यक्ति कार से रोज अपने काम पर जाता आता है. उसकी इच्छा (goal) यही रहती है कि वह कार चलाते समय सदा सुरक्षित रहे, उसे रास्ते में कोई ट्रेफिक पुलिस परेशान न करे, और सदैव समय पर अपने ऑफिस पहुंचे.
उसके लिए समय पर ऑफिस न पहुंचना, ट्रेफिक पुलिस का दंड, या अपनी या उस कार से किसी और की भी दुर्घटना होने की संभावना, जोखिम (risk) कहलाता है. यदि यही जोखिम जो एक संभावना हैं घटित हो जाते हैं, तो यही Incident या असफलता या दुर्घटना कहलाता है.
कार की रख रखाव, उसका ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस और फिटनेस, उसका उस रास्ते का अनुभव उसकी अंदरूनी ताकत (strength /weakness ) है. जबकि ट्रेफिक पुलिस, उसके कानून या रोड पर होने वाली भीड़ उसके बस की बात नहीं होती, इसलिए वे बाहरी अड़चन Threat/opportunity हैं. अंदरूनी ताकत strenth /weakness और बाहरी अड़ चन Threat opportunities ये दोनों विरोधी हैं और इसके द्वारा तय होता है कि किसी कार्य में जोखिम कितना होगा.
याद रहे कि यदि बाहरी अड़चन Threat न हो तो आंतरिक कमजोरी weakness हो भी, तो भी कोई जोखिम risk नहीं होता. उदाहरण के लिए, ताज महल को कोई उठाकर नहीं ले जा सकता इसलिए वह कितना भी कीमती क्यों न हो उसे कोई Threat बाहरी अड़चन नहीं है, किन्तु उसी ताजमहल में जाने वाले लोगों के मोबाइल फोन को चुराने वाले Threat बहुत हैं और उनको उसका ध्यान रखना आवश्यक है और इसमें कोई असावधानी या कमजोरी weakness नहीं चाहिये. जोखिम के लिये वस्तु का कीमती होना या सस्ता होना महत्वपूर्ण नहीं है. यह महत्वपूर्ण है कि उस का threat या उसके ऊपर किसकी काली नजर है और उसे बचाने के लिए हम कितने सावधान हैं.
जब तक उसकी अंदरूनी ताकत इतनी पर्याप्त नहीं (weakness/strength) है कि वह बाहरी अड़चन threat/opportunities को दूर कर सके तो वह व्यक्ति जोखिम के अंदर है इसलिए भयभीत भी रहेगा किन्तु वह अभी तक घटित नहीं हुयी, या कोई दुर्घटना या पुलिस द्वारा दंड या समय से ऑफिस पहुंचने में देरी से बचा हुआ है. इस स्थिति को ही vulnerability या exposer to risk या लाचारी कहते हैं.
इस लाचारी vulnerability का एक उदाहरण यह है कि किसी दिन उस व्यक्ति के कार का इंश्योरेंस की अवाधि खत्म हो गयी. इसका कारण उसकी अंदरूनी कमजोरियों weakness /strength हैं जैसे कि वह इंश्योरेंस की अंतिम तिथि भूल गया है या, उसे पता होते हुए भी उसे समय नहीं मिला कि वह इंश्योरेंस कंपनी जा सके, या फिर उसे जोखिम की परवाह ही नहीं है. फिर भी, उसके सामने जोखिम या दुर्घटना की संभावना या ट्रेफिक पुलिस के द्वारा चालान होने की संभावना बनी हुई है किन्तु उस जोखिम का घटित होना बचा है.
जो अब तक एक जाना गया जोखिम या exposure to risk था, या उसे जिस दुर्दशा की संभावना थी किन्तु वह अभी तक घटित नहीं हुआ है इसलिये वह एक लाचारी vulnerability है. लाचारी के कारण बहुत हो सकते हैं किन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि उसे इसका (known risk) ज्ञान नहीं था, और लापरवाही उनमें से एक हो सकती है. एक दिन यह हो गया कि उस व्यक्ति का उस लाचारी की स्थिति में ट्रेफिक पुलिस से सामना हो गया और वह इंश्योरेंस पॉलिसी उसे दिखा पाने में असमर्थ था. वही जोखिम अब घटित हो गया जिससे उसका तय लक्ष्य पूरा न हो सका. तय लक्ष्य का पूरा न होना ही Incident या दुर्दशा या दुर्घटना या असफलता है.
उस व्यक्ति ने किसी तरह पुलिस का चालान भरा और जितना जल्दी हो सकता था मामले को शांत किया. यही निपटान या correction है.
घर आ कर उस व्यक्ति ने उस दिन की घटना Incident और उसकी गंभीरता पर चिंता की impact और फिर उस घटना के होने के लिये उत्तरदायी पुराने या किसी नये अंदरूनी कमजोरियों के कारण root cause analysis की खोज की. और, यह तय किया कि उसे दुबारा कभी इस तरह की लाचारी की स्थिति में नहीं रहना चाहिए. उसके सभी लाइसेंस और इंश्योरेंस और गाड़ी की फिटनेस अपनी अवाधि से पहिले ही बनने चाहिए. उसे इसे न भूलने की भी व्यवस्था करनी होगी. यही control objectives या नियंत्रण के लक्ष्य या माप दंड हैं.
उदाहरण के लिए, उसने अपने कमजोरी के मूल कारण को जान, अपने पिता की मदद ली जो इस विषय के जानकार भी हैं और उनके पास पर्याप्त समय होता है जो उसके इन काम को खुश खुशी कर सकते थे. और इस तरह उनको कभी यह नहीं दुबारा स्थिति नहीं आयी. यही प्रक्रिया में सुधार या Corrective action है.
कभी कभी मूल कारण को जानते हुये भी उसे दूर नहीं किया जा सकता है क्योंकि उस पर या तो हमारा बस नहीं होता इसलिए उन बाहरी अड़चन और अंदरूनी कमजोरियों के साथ रहना सीखना पड़ता है और जहां तक संभव हो उन लक्ष्य या जिम्मेदारी लेने और उनसे संबंधित जोखिम से बचना चाहिए . कारण को जानते हुये सावधानी या बचाव करना आवश्यक है. यही समस्या कहलाता है किन्तु हर बार जब भी वह होगा हमें रास्ता पहिले से ही पता होता है कि किस तरह से उसका सामना किया गया था.
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उपरोक्त उदाहरण में वर्णित शब्दों की सहायता से निर्मित निम्न लिखित सिद्धांत (शब्दों में परस्पर संबंध) को समझें
लक्ष्य का पूरा न होने या असफलता की संभावना ही जोखिम है.
अंदरूनी कमजोरियां और बाहरी अड़चन ये दोनों ही न हों तो जोखिम नहीं होता. अंदर की कमजोरी को दूर करने से ही बाहरी अड़ चन पर काबू पाया जा सकता है और यही वह मार्ग है जिससे जोखिम या लक्ष्य पूर्ति में असफलता की संभावना, दूर की जा सकती है.
अंदरूनी कमजोरियों को जोखिम नहीं कहते किन्तु यदि उन को दूर न किया गया और बाहरी अड़चन (जो अपने नियंत्रण में नहीं है) बनी हुई है तो उस अवस्था में उस जोखिम को घटित होने से रोकना संभव नहीं है. यह स्थिति लाचारी कहलाती है.
जोखिम risk जब तक घटित नहीं होता तब तक वह एक संभावना है. उस संभावना से पर्याप्त बचाव न होने को helplessness, vulnerable या लाचारी की अवस्था कहते हैं. किन्तु, जब वह घटित हो जाता है तब वही लक्ष्य पूर्ति में असफलता या दुर्घटना या Incident बन जाता है.
दुर्घटना होने पर सबसे पहले, उससे होने वाली हानि कहीं फैल न जाय इसका तुरंत व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके बाद उसका निपटान किया जाय जिससे किसी तरह वापस सामान्य स्थिति आ जाय. इसके बाद उस दुर्घटना के मूल कारण की खोज की जानी चाहिए और उसे रोका जाय. इसके लिये योजना बनानी होती है जिससे संगठन में यह कारण दुबारा न दिखे और प्रक्रिया यह निश्चित करे कि उस नये अंदरूनी कमजोरियों जो दुर्घटना के मूल कारण के खोज root cause analysis से प्राप्त हुए हैं उन को न आने दिया जाय Corrective action. यह दो तरह से संभव है.
प्रक्रिया सुधार Process improvement भी इसका उदाहरण है. जिससे, नयी नयी कमजोरी जिसके बारे में पहिले से नहीं सोचा गया था और जोखिम होने के लिये उत्तरदायी थे उनको दूर कर दिया जाय.
यदि कमजोरी weakness पुरानी है या बाहरी अड़चन इस तरह हैं कि उसे दूर नहीं किया जा सकता है या प्रक्रिया बदलना संभव नहीं है, तो उस तरह का लक्ष्य लिया ही न जाए या उस तरह की जिम्मेदारी और जोखिम लेने से बचा जाय, या उसके मूल कारण को जानते हुये, पहिले जिस तरह सावधानी की गयी थी उसका ध्यान रखना चाहिए. इसे lesson learnt या सीख लेना कहते हैं.
धन्यवाद,
कृष्ण गोपाल मिश्र
(साभार - प्रबंध प्रणालियों के प्रमुख सलाहकार और गुरु श्री कृष्ण गोपाल मिश्र और फेसबुक वॉल https://www.facebook.com/kgmisra)
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