कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन यात्रा
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अजमेर राजस्थान का एक शहर है और साथ ही जिला भी। पानी की कमी के कारण उद्योग यहाँ कम पनपे, फिर भी बहुत से उद्यमियों ने इस जिले में अपने उद्योग लगाने का जोखिम लिया। बहुत से बंद भी हो गए, जो चुनौतियों को भली प्रकार से सम्बोधित नहीं कर पाए। पर कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने मुश्किलों के बावजूद हालातों से लड़ते हुए हार नहीं मानी और अपने उद्योग स्थापित किए। उनमें से एक हैं सुरेश, जिनके बारे में मैं चर्चा कर रहा हूँ।
साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से तैयार किया।
सुरेश एक छोटे से उद्यमी हैं, आईआईटी से उसने बीटेक किया था। मुंबई में नौकरी की, पर मन अपना कुछ करने का था। नौकरी में मन नहीं लगा। पिता राजस्थान में रेल कर्मचारी थे, इसलिए फैसला लिया कि राजस्थान में ही अपनी फैक्ट्री खोलेंगे। जयपुर, कोटा, अलवर आदि शहरों के औद्योगिक क्षेत्रों का प्रारम्भिक रिसर्च के उद्देश्य से दौरा किया, पर जमीन की कीमतों और शहर से औद्योगिक क्षेत्र की दूरी के कारण वह कोई उचित निर्णय नहीं ले पाया। एक दिन बस में यात्रा करते हुए उसकी एक उद्यमी से बातचीत हुई, जिसने बताया कि अजमेर में जमीनों की कीमतें इतनी अधिक नहीं हैं, जितनी अन्य शहरों में है और माखुपुरा इंडस्ट्रियल एरिया शहर से ज्यादा दूर भी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति रहने के लिए अपना घर आदर्श नगर या आसपास लेता है जो वहाँ से कुछ ही किलोमीटर दूर है यह इंडस्ट्रियल एरिया। बस फिर क्या था, सुरेश ने अजमेर जाने की योजना बनाई और वहीं एक मैनुफैक्चरिंग संस्थान स्थापित किया। शुरू में बहुत सी दिक्कतें आईं, पर सरकार की नीति के कारण एक पब्लिक सेक्टर बैंक से ऋण भी मिल गया। सरकार की नीति थी कि स्माल स्केल इंडस्ट्रीज को सहायता प्रदान कर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट किया जाए। इसी नीति के कारण जमीन राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन, जिसे संक्षेप में रीको के नाम से जाना जाता है, से जमीन भी आवंटित हो गई।
सुरेश की कंपनी को दस से अधिक वर्ष हो गए हैं। उसके पिता रेलवे से रिटायर भी हो गए और अब सुरेश के पास ही रहते हैं। हालाँकि उसके पिता रोज तो नहीं, पर सप्ताह में दो-तीन दिन कंपनी जाते हैं। रेलवे में नौकरी करने का उनका अनुभव सुरेश के लिए काफी लाभदायक रहता है। वे सरकारी विभागों में काम करवाने की प्रक्रिया को जानते हैं। इन दस सालों में सुरेश ने काफी सफलताएँ अर्जित की हैं। अब वह अपने उत्पाद विदेश में निर्यात भी करने लगा है। उसकी कंपनी में पचास से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
चारों ओर वह गुणवत्ता के बारे में सुनता। बहुत से संस्थानों ने आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू कर लिया। उसने भी उन्नति के उद्देश्य अपनी कंपनी में गुणवत्ता को विशेष महत्व देने का निर्णय लिया। उसने गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक का उपयोग करने का विचार किया, लेकिन उसके मन में कई सवाल थे। सुरेश अपनी कंपनी में आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करना चाहता था, पर बहुत सी बातों पर उसे स्पष्टता नहीं थी, अतः उसने सोचा कि वह अपने मित्र रवि से बात करे, जिसने कई संस्थानों में गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करवाई। सुरेश ने फोन उठाया और रवि को चाय के लिए करीब तीन बजे आमंत्रित किया। रवि ने सुरेश को आश्वासन दिया कि वह नियत समय पर उसके ऑफिस पहुँच जाएगा। रवि सुरेश का मित्र है और आजकल सलाहकार के रूप में अपनी विशेषज्ञ सेवाएँ वह कंपनियों को देता है। सुरेश ने अपने पिता को रवि के बारे में बताया और कहा कि वे भी उस समय मीटिंग में रहेंगे तो अच्छा रहेगा। सुरेश के पिता ऐसे अवसरों पर बहुत ही लाभदायक भूमिका में रहते हैं। वे एक अच्छे श्रोता हैं और अकसर बातचीत के महत्वपूर्ण बिंदुओं को प्रायः वे लिख लिया करते हैं। साथ ही सुरेश ने अपनी कम्पनी की मैनुफैक्चरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट मैनेजर किशोर को भी मीटिंग में उपस्थित रहने के लिए कह दिया।
शेष फिर,
केशव राम सिंघल
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