गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा - 6

सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा 

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जैसे ही सुरेश कॉन्फ्रेंस हॉल से बाहर निकला, परचेज डिपार्टमेंट का असिस्टेंट मैनेजर उसके पास आया और उसने तीन स्टैंडर्ड्स पकड़ाते हुए कहा - मुझे किशोर ने दो स्टैंडर्ड्स लाने के लिए कहा था, पर जयपुर में भारतीय मानक ब्यूरों वालों ने मुझ से  कहा कि आप आईएस/आईएसओ 9000 और आईएस/आईएसओ 9001 स्टैंडर्ड्स ले रहे हो। आपको हम आईएस/आईएसओ 9002 स्टैण्डर्ड भी खरीदने की सलाह देंगे। मैंने देखा कि आईएस/आईएसओ 9002 स्टैण्डर्ड क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम्स के एप्लिकेशन गाइडेंस से सम्बंधित है, इसलिए इसे भी ले आया। सुरेश ने धन्यवाद देते हुए कहा कि इन स्टैंडर्ड्स को कम्पनी की लाइब्रेरी में जमा करवा दे, ताकि जिसे भी जरुरत होगी, वह वहाँ से ले लेगा। 








साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से तैयार किया। 


सुरेश अपने चैंबर में पहुँचा ही था तो उसने देखा कि उसके पिता भी आ गए हैं। उसने आज की मीटिंग की मुख्य-मुख्य बातें अपने पिता को बता दीं। उसके पिता ने कहा कि क्या दो हजार रूपये के incentive की घोषणा करके क्या वह कुछ अधिक खर्चा नहीं कर रहा है। सुरेश ने अपने पिता से कहा कि आजकल ट्रेनिंग कॉस्ट बहुत ही अधिक है और फिर हम सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए बाहर नहीं भेज सकते। सभी को एक दिन ट्रेनिंग के लिए एक साथ रिलीव करना संभव भी नहीं है। मुझे लगता है कि घर बैठे ट्रेनिंग हैंडबुक पढ़कर और असाइनमेंट्स पूरा कर हमारे कर्मचारी आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के बारे काफी जानकारी पा लेंगे। साथ ही मैं सोच रहा हूँ कि हर विभाग में मैं खुद जाकर इस बात का पता लगाऊँगा कि गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के बारे में लोगों की जानकारी बढ़ रही है या नहीं। मैं सोच रहा हूँ आने वाले दिनों में दो लोगों को आंतरिक संपरीक्षण ट्रैनिंग और एक को डॉक्यूमेंटेशन की ट्रेनिंग पर भेजेंगे। 


दूसरे दिन संचालन समिति के प्रमुख पांडे जी ने एक परिपत्र सभी कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए जारी किया, जिसमें उन्होंने कंपनी में आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करने की विस्तृत जानकारी दीं और साथ ही सभी कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे ट्रेनिंग हैंडबुक ले लें और शीघ्र अपने असाइनमेंट्स सबमिट करें। कोई भी दिक्कत आने पर वे संचालन समिति के किसी भी सदस्य से संपर्क स्थापित कर सकते हैं। 


दोपहर बाद कंपनी के एक कर्मचारी ने सुरेश से यह निवेदन किया कि वह आईएसओ 9001 के सम्बन्ध में मिलना चाहता है। उसने उस कर्मचारी को बुला लिया। वह कर्मचारी डिजायन विभाग का अभिनव शर्मा था, जो पिछले पाँच साल से कम्पनी में काम कर रहा था। उसने आते ही कहा - सर, आप कंपनी के लिए आईएसओ 9001 सर्टिफिकेशन लेना चाहते हैं। इसके लिए इतनी मेहनत की जरुरत क्या है? आपने जो तरीका कल डिपार्टमेंटल हैड्स की मीटिंग में बताया, उससे तो कम्पनी को सर्टिफिकेशन लेने में कम से कम छह महीने बल्कि ज्यादा ही लग जाएंगे। सर, पिछले महीने अपने इंडस्ट्रियल एरिया में ही एक कम्पनी ने आईएसओ 9001 सर्टिफिकेशन लिया है, मात्र कुछ ही दिनों में। सभी कुछ एक व्यक्ति ने करवा दिया, उनके रेडीमेड मैन्युअल हैं नाम भरो क्वालिटी मैन्युअल तैयार। फीस भी ज्यादा नहीं। आप कहें तो मैं बात करूँ?


सुरेश ने अभिनव की बातों को धैर्य से सुना और कहा कि तुम हमारी कंपनी में पिछले पाँच साल से काम कर रहे हो। मैं तुम्हारे काम से प्रभावित हूँ, पर मैं आज तम्हारी इस बात से सहमत नहीं कि हम रेडीमेड सिस्टम अपनी कम्पनी में लागू करें। हमें चाहे छह माह क्यों न लग जाएँ, पर मैं चाहता हूँ कि हमारा सिस्टम ऐसा हो, जिसके ओनर (owner) हम हों। मैं चाहता हूँ कि हमारी कंपनी में गुणवत्ता संस्कृति (Quality culture) धीरे-धीरे बढे। मैं न केवल आईएसओ 9001 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करना चाहता हूँ, बल्कि चाहता हूँ कि अन्य गुणवत्ता टूल्स भी लागू करूँ, जैसे फाइव एस, मशीनों की मेंटिनेंस के लिए टीपीएम आदि। 


अभिनव ने जब अपने मैनेजिंग डायरेक्टर की बात सुनी तो आश्चर्य से भर गया और बोला - सर, मैं माफी चाहता हूँ। आपकी बात से मैं प्रभावित हूँ। मैं आज ही ट्रेनिंग हैंडबुक पढ़ूँगा और असाइनमेंट्स पूरा करूँगा। सुरेश ने अभिनव को कहा - आप जैसे साथी से मैं अपेक्षा करता हूँ कि गुणवत्ता की इस यात्रा में आप हमारा साथ देंगे। मैं बताना चाहता हूँ कि Quality is not a destination, it is a journey, साथ ही सुरेश ने अभिनव को बताया कि आईएसओ 9000 , आईएसओ 9001 और आईएसओ 9002 स्टैंडर्ड्स हमारी कम्पनी की लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं और आप वहाँ इन स्टैंडर्ड्स को पढ़ सकते हैं। इस प्रकार सुरेश ने एक अच्छा मेसेज अभिनव को दिया। सुरेश जानता था कि ये बातें, कंपनी के और लोगों तक पहुँचेगी और इसका सकारात्मक प्रभाव पडेगा।  


शेष फिर,

केशव राम सिंघल


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