मंगलवार, 30 जनवरी 2024

कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा - 3

सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा

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रवि ने चाय पीते हुए भी अपनी बात जारी रखी।

 

रवि - जो मुद्दे मैंने बताए, उन मुद्दों को शामिल करने वाला प्रस्तुतिकरण प्रशिक्षण  (presentation training) ऐसे व्यक्ति द्वारा आयोजित किया जा सकता है, जो आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक से अच्छी तरह परिचित हो, मानक की अपेक्षाओं को बताने और उनकी व्याख्या करने में सक्षम हो। किसी बाहरी सलाहकार या प्रशिक्षक को इस तरह का प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए कहा जा सकता है। यदि शीर्ष प्रबंधन किसी जागरूकता प्रशिक्षण में भाग लेने में सक्षम नहीं है, तो वह प्रासंगिक साहित्य, किताबें और प्रकाशन पढ़ सकते हैं।

 








साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से तैयार किया।


इस संबंध में, रवि ने ‘Training Handbook on ISO 9001:2015 QMS Awareness’ (ASIN - B093YFFY7Z, available at Amazon) को पढ़ने का सुझाव दिया, जिसका लिंक है।  

 

रवि - वर्ष 2015 में, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था (International Organization for Standardization - आईएसओ) ने आईएसओ 9001 के लिए एक सूचनात्मक निःशुल्क विवरणिका "ISO 9001 - Debunking the myths" प्रकाशित की है, जो इसके कार्यान्वयन और उपयोग के बारे में कुछ गलतफहमियों को स्पष्ट करता है। इसे आप आईएसओ की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इसका पढ़ना आपके लिए उपयोगी होगा। कई अन्य पुस्तकें और प्रकाशन उपलब्ध हैं।

 

सुरेश रवि की बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहा था। उसने कहा - रवि जी, रुको, मैं यह यह ट्रेनिंग हैंडबुक का आर्डर अमेजन की साइट पर दे ही देता हूँ और आईएसओ की वेबसाइट से विवरणिका भी डाउनलोड कर लेता हूँ।

 

तभी रवि ने कहा - ट्रेनिंग हैंडबुक के अलावा आप अमेजन से "Implementing An Effective Quality Management System Kindle Edition (ASIN - B0CHM9D2NL, available at Amazon) का भी आर्डर भेज सकते हैं , जिसका लिंक है। यह प्रकाशन भी आपके लिए उपयोगी रहेगा।

 

तभी सुरेश ने अमेजन साइट पर दोनों किंडल प्रकाशनों का आर्डर भेजा और साथ ही आईएसओ की वेबसाइट से विवरणिका भी डाउनलोड कर लीं। सुरेश ने रवि को बताया - ये दोनों किंडल प्रकाशन तो मेरे मोबाइल और किंडल रीडर डिवाइस में ही आ गए हैं। अब मैं इन्हे पढ़ सकूँगा।

 

रवि - बहुत ही अच्छी बात है कि आपने मेरी सलाह को माना। मेरा विश्वास है कि ये साहित्य आपके लिए लाभकारी रहेंगे। मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि यदि आप आईएसओ 9001 :2015 से सम्बंधित साहित्य भली प्रकार पढ़ेंगे तो आपको सलाहकार पर कम निर्भर रहना पडेगा और इस तरह आप बहुत सा समय और पैसा बचा पाएँगे। 

 

सुरेश - वह कैसे?

 

रवि - कई संस्थाएँ आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करने के लिए पूरी तरह से सलाहकार पर निर्भर हो जाती हैं। इसमें सलाहकार संस्था को अधिक सेवाएं देता है तो वह अपनी फीस भी ज्यादा वसूलता है।

 

सुरेश - आप अपना नुकसान क्यों कर रहे हैं?

 

रवि - इसमें मेरे नुकसान की कोई बात नहीं है। हम अधिकतर प्रबंधन सलाहकार बहुत व्यस्त रहते हैं, हम चाहते हैं कि संस्था के लोगों में गुणवत्ता अवधारणा की जागरूकता अधिक से अधिक फैले, ताकि छोटी-छोटी बातों के लिए संस्थाओं को हम पर निर्भर न रहना पड़े। यदि लोगों में गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली की जागरूकता बढ़ेगी तो संस्था में मजबूत गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू हो पाएगी और साथ ही किसी की बैसाखी पर संस्था को निर्भर नहीं रहना पडेगा। 


सुरेश - ऐसा बहुत कम सलाहकार कहते होंगे। 


रवि - मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करने के लिए किसी सलाहकार को नियुक्त करना आवश्यक नहीं है। हालाँकि किसी अच्छे सलाहकार की नियुक्ति एक सार्थक निवेश हो सकता है। एक अच्छा सलाहकार संगठन में ज्ञान और कौशल के त्वरित हस्तांतरण में मदद करता है। संस्था को आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली कार्यान्वयन कार्यक्रम को ट्रैक पर रखने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सलाहकार की आवश्यकता हो सकती है, पर उसकी नियुक्ति जरूरी नहीं।  

 

सुरेश - मैं आपके विचारों की कद्र करता हूँ। कृपया आगे बताएँ।

 

रवि - अब मैं आगे की बात बताना चाहता हूँ। संस्था के शीर्ष प्रबंधन को बहुत से कामों में सक्रिय रूप से शामिल होकर आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक को लागू करने के लिए नेतृत्व, प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करना चाहिए, जिससे (1) यह सुनिश्चित किया जा सके कि संस्था के लोग मानक की अपेक्षाओं को पूरा करने के महत्व को समझें, (2) संस्था की गुणवत्ता नीति और गुणवत्ता उद्देश्यों की स्थापना हो सके, (3) संस्था की व्यावसायिक प्रक्रियाओं में गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली अपेक्षाओं को एकीकृत कर सकें, (4) प्रक्रिया दृष्टिकोण और जोखिम-आधारित सोच के उपयोग को बढ़ावा मिल सके, (5) संस्था में लोगों को कार्यान्वयन में शामिल करना, निर्देशित करना और समर्थन करना, (6) आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना, (7) सुधार को बढ़ावा देना, (8) संस्था की रणनीतिक दिशा के साथ संस्था की गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली की निरंतर उपयुक्तता, पर्याप्तता, प्रभावशीलता और संरेखण (adequacy, effectiveness and alignment) सुनिश्चित करने के लिए योजनाबद्ध अंतराल पर प्रबंधन समीक्षा हो सके।

 

सुरेश - आप उद्देश्यों या लक्ष्यों के बारे में कुछ कह रहे थे। कृपया उस बारे में बताएँ।

 

रवि - संस्था के शीर्ष प्रबंधन को उन उद्देश्यों या लक्ष्यों की पहचान करनी चाहिए जिन्हें वह प्राप्त करना चाहता है। विशिष्ट उद्देश्य या लक्ष्य इस प्रकार हो सकते हैं - (1) अधिक कुशल उत्पाद और सेवा प्रदान करना, (2) अधिक लाभदायक बने, (3) लगातार अपेक्षाओं को पूरा करने वाले उत्पाद और सेवा का उत्पादन करना, (4) ग्राहक संतुष्टि प्राप्त करना / बढ़ाना, (5) संस्था के लिए अधिक व्यवसाय, (6) बाज़ार हिस्सेदारी बनाए रखना/बढ़ाना (व्यवसाय), (7) संस्था की प्रक्रियाओं में सुधार, (8) संचार में सुधार, (9) संस्था के लोगों का मनोबल बढ़ाना, (10) लागत कम करना, (11) देनदारियां कम करना, (12) अपशिष्ट (waste) को कम करना, (13) पुनर्कार्य (rework) को कम करना, (14) उत्पादन प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाना (15) तकनीकी उन्नयन।

 

अपनी बात का अंत करते हुए रवि ने कहा - शीर्ष प्रबंधन को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इच्छित परिणाम प्राप्त हों, इसलिए शीर्ष प्रबंधन को आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक के अनुसार संस्था में गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली विकसित करने और लागू करने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए। इस संबंध में, मानक में बताई गई अपेक्षाओं और संस्था द्वारा निर्धारित अपेक्षाओं को पूरा किया जाना आवश्यक है। संक्षेप में, शीर्ष प्रबंधन को आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली का व्यापक ज्ञान होना चाहिए और उसे आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू करने में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप अपनी कम्पनी में आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू कर पाएंगे और गुणवत्ता की यात्रा में आगे कदम उठाएँगे।

 

सुरेश - रवि, आपका मार्गदर्शन सुनकर लगता है कि गुणवत्ता की दिशा में कदम बढ़ाना मुश्किल नहीं होगा।

 

रवि - हाँ, सुरेश, गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक है, लेकिन हमें इसमें अपनी विशेषता डालनी चाहिए। हमें अपनी संस्था के लोगों में यह अनुभूति करवाना जरूरी है कि हम कैसे इसे अपने उद्यम के लाभ में परिणामी बना सकते हैं।

 

सुरेश - आपका यह सुझाव बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आईएसओ 9001:2015 को लागू करने वाले शुरुआती कदम कौन-कौन से अपनाऊँ।

 

रवि - ठीक है, सुरेश, आप एक छोटे से मॉडल के माध्यम से आगे बढ़ सकते हो। ये मॉडल आप इन किंडल पुस्तकों को पढ़कर जान सकते हैं। जो बात मैं आपको कहने जा रहा हूँ, वह जान लें।

 

सुरेश - ठीक है।

 

शेष फिर,

केशव राम सिंघल

मंगलवार, 23 जनवरी 2024

कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा - 2

सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन की यात्रा 

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रवि नियत समय पर सुरेश के ऑफिस पहुँच गया। सुरेश ने रवि से कहा - स्वागत है आपका। आज आप बहुत ही प्रसन्न लग रहे हैं। 









साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से तैयार किया।


रवि - प्रसन्नता की तो बात है। आज एक मित्र ने याद किया। वैसे तो हम सभी अपने-अपने कार्यों में इतने व्यस्त हो गए हैं कि एक-दूसरे से मिलना-मिलाना भी कम ही हो पाता है। 


सुरेश - आप सही कहते हो। वैसे मैंने आपको एक विशेष प्रयोजन से आमंत्रित किया है और मैं आपसे सलाह लेना चाहता हूँ। 


रवि - आप अपनी बात मुझे बताएँ और बताएँ कि आपका वह विशेष प्रयोजन क्या है?


उसी समय सुरेश के पिता और किशोर भी आ गए। सुरेश ने रवि से अपने पिता और किशोर का परिचय कराया और कहा कि ये भी बातचीत में शामिल रहेंगे।


सुरेश - आप तो जानते ही हैं कि हमने बहुत ही मेहनत से यह कम्पनी स्थापित की है। हमारा व्यवसाय बढ़ रहा है और हम प्रगति भी कर रहे हैं, पर हम अभी भी परम्परागत तरीके से व्यवसाय कर रहे हैं। देश की बहुत सी कम्पनियाँ आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली का प्रमाणन ले रही हैं, हम भी इस ओर अपने कदम बढ़ाना चाहते हैं, पर मुझे इस सम्बन्ध में कुछ जानकारी नहीं है। मुझे विश्वास है कि आप मेरी सहायता करेंगे और मुझे सलाह देंगे कि हम कैसे इस ओर बढ़ सकते हैं और गुणवत्ता अवधारणाओं को कैसे लागू कर सकते हैं। कैसे हम प्रमाणन प्राप्त कर सकते हैं। 


सुरेश की बात सुनकर रवि बोला - मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि आप अपनी संस्था में नवाचार प्रयासों की ओर सोच रहे हैं। मैं आपको गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली के बारे में जानकारी दूँगा। पहली बात जो मैं बताना चाहता हूँ, वह है कि किसी संस्था के लिए आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक को अपनाना और लागू करना एक रणनीतिक निर्णय है। एक बार जब कोई संस्था का शीर्ष प्रबंधन आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक को अपनी संस्था में विकसित और कार्यान्वित करने का निर्णय लेता है, तो शीर्ष प्रबंधन की ओर से की गई तीन चीजें आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक के उचित विकास और कार्यान्वयन में सहायता प्रदान कर सकती हैं। ये तीन चीजे हैं  -  (1) शीर्ष प्रबंधन की नेतृत्व भूमिका, (2) शीर्ष प्रबंधन की प्रतिबद्धता, और (3) शीर्ष प्रबंधन की सक्रिय भूमिका। 


सुरेश - कृपया स्पष्टता से समझाएँ। 


रवि - शीर्ष प्रबंधन के लिए आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक को लागू करने के लिए नेतृत्व और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना आवश्यक है। संस्था के शीर्ष प्रबंधन को आश्वस्त होना चाहिए कि आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक को लागू करने से संस्था को कई संभावित लाभ मिलेंगे। शीर्ष प्रबंधन को पता होना चाहिए कि यद्यपि प्रमाणीकरण अनिवार्य नहीं है या मानक की यह अपेक्षा भी नहीं है, तथापि प्रमाणीकरण संस्था को उत्पाद की गुणवत्ता, सेवा की गुणवत्ता, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली और सतत विकास पहल के प्रति एक दृश्यमान प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने में सक्षम करेगा। 


सुरेश - क्या आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली का प्रमाणीकरण अनिवार्य नहीं है?


रवि - हाँ, आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक का प्रमाणीकरण अनिवार्य नहीं है। आप चाहे प्रमाणीकरण लें या न लें, यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। आप बिना प्रमाणीकरण के भी अपनी संस्था में आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक कार्यान्वित अर्थात् लागू कर सकते हैं। 


सुरेश - पर हमें आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक के बारे में जानकारी नहीं है। कैसे हम इस बारे में जान सकते हैं?


रवि - यह सही बात है, आपको और संस्था के शीर्ष प्रबंधन को आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक के बारे में पता होना चाहिए, जिसके लिए मेरा सुझाव है कि शीर्ष प्रबंधन को एक प्रस्तुति प्रशिक्षण में भाग लेना चाहिए, जिसमें आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक से जुड़े मुद्दे शामिल हों, जैसे कि (1) आईएसओ 9001:2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक अवलोकन (2) संस्था और उसके संदर्भ को समझने का महत्व (3) जोखिम आधारित सोच (4) लक्ष्यों और अपेक्षाओं की पहचान (5) नेतृत्व भूमिका (6) गुणवत्ता नीति (7) गुणवत्ता के उद्देश्य (8) गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता में योगदान के लिए व्यक्तियों को शामिल करना (9) संचालन समिति का गठन (10) टास्क फोर्स का गठन (11) सलाहकार की नियुक्ति (12) कार्यान्वयन की प्रक्रिया। 


तभी चाय आ गई और सुरेश ने कहा - पहले चाय पी लेते हैं, फिर मैं आपकी बात धैर्य से सुनूँगा। आपकी बातें मुझे रुचिकर लग रही हैं। आप बहुत ही स्पष्टता से उपयोगी जानकारी मुझे बता रहे हैं। 


शेष फिर,

केशव राम सिंघल 


सोमवार, 22 जनवरी 2024

कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन यात्रा - 1

कहानी - गुणवत्ता की ओर - सुरेश की कंपनी में गुणवत्ता प्रबंधन यात्रा 

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अजमेर राजस्थान का एक शहर है और साथ ही जिला भी।  पानी की कमी के कारण उद्योग यहाँ कम पनपे, फिर भी बहुत से उद्यमियों ने इस  जिले में अपने उद्योग लगाने का जोखिम लिया। बहुत से बंद भी हो गए, जो चुनौतियों को भली प्रकार से सम्बोधित नहीं कर पाए। पर कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने मुश्किलों के बावजूद हालातों से लड़ते हुए हार नहीं मानी और अपने उद्योग स्थापित किए। उनमें से एक हैं सुरेश, जिनके बारे में मैं चर्चा कर रहा हूँ।  









साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से तैयार किया। 

सुरेश एक छोटे से उद्यमी हैं, आईआईटी से उसने बीटेक किया था। मुंबई में नौकरी की, पर मन अपना कुछ करने का था। नौकरी में मन नहीं लगा। पिता राजस्थान में रेल कर्मचारी थे, इसलिए फैसला लिया कि राजस्थान में ही अपनी फैक्ट्री खोलेंगे। जयपुर, कोटा, अलवर आदि शहरों के औद्योगिक क्षेत्रों का प्रारम्भिक रिसर्च के उद्देश्य से दौरा किया, पर जमीन की कीमतों और शहर से औद्योगिक क्षेत्र की दूरी के कारण वह कोई उचित निर्णय नहीं ले पाया। एक दिन बस में यात्रा करते हुए उसकी एक उद्यमी से बातचीत हुई, जिसने बताया कि अजमेर में जमीनों की कीमतें इतनी अधिक नहीं हैं, जितनी अन्य शहरों में है और माखुपुरा इंडस्ट्रियल एरिया शहर से ज्यादा दूर भी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति रहने के लिए अपना घर आदर्श नगर या आसपास लेता है जो वहाँ से कुछ ही किलोमीटर दूर है यह इंडस्ट्रियल एरिया। बस फिर क्या था, सुरेश ने अजमेर जाने की योजना बनाई और वहीं एक मैनुफैक्चरिंग संस्थान स्थापित किया। शुरू में बहुत सी दिक्कतें आईं, पर सरकार की नीति के कारण एक पब्लिक सेक्टर बैंक से ऋण भी मिल गया। सरकार की नीति थी कि स्माल स्केल इंडस्ट्रीज को सहायता प्रदान कर  इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट किया जाए। इसी नीति के कारण जमीन राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन, जिसे संक्षेप में रीको के नाम से जाना जाता है, से जमीन भी आवंटित हो गई।  


सुरेश की कंपनी को दस से अधिक वर्ष हो गए हैं। उसके पिता रेलवे से रिटायर भी हो गए और अब सुरेश के पास ही रहते हैं। हालाँकि उसके पिता रोज तो नहीं, पर सप्ताह में दो-तीन दिन कंपनी जाते हैं। रेलवे में नौकरी करने का उनका अनुभव सुरेश के लिए काफी लाभदायक रहता है। वे सरकारी विभागों में काम करवाने की प्रक्रिया को जानते हैं। इन दस सालों में सुरेश ने काफी सफलताएँ अर्जित की हैं। अब वह अपने  उत्पाद विदेश में निर्यात भी करने लगा है। उसकी कंपनी में पचास से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।  


चारों ओर वह गुणवत्ता के बारे में सुनता। बहुत से संस्थानों ने आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक लागू कर लिया। उसने भी उन्नति के उद्देश्य अपनी कंपनी में गुणवत्ता को विशेष महत्व देने का निर्णय लिया। उसने गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली मानक का उपयोग करने का विचार किया, लेकिन उसके मन में कई सवाल थे। सुरेश अपनी कंपनी में आईएसओ 9001 :2015 गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करना चाहता था, पर बहुत सी बातों पर उसे स्पष्टता नहीं थी, अतः उसने सोचा कि वह अपने मित्र रवि से बात करे, जिसने कई संस्थानों में गुणवत्ता प्रबंध प्रणाली लागू करवाई। सुरेश ने फोन उठाया और रवि को चाय के लिए करीब तीन बजे आमंत्रित किया। रवि ने सुरेश को आश्वासन दिया कि वह नियत समय पर उसके ऑफिस पहुँच जाएगा। रवि सुरेश का मित्र है और आजकल सलाहकार के रूप में अपनी विशेषज्ञ सेवाएँ वह कंपनियों को देता है। सुरेश ने अपने पिता को रवि के बारे में बताया और कहा कि वे भी उस समय मीटिंग में रहेंगे तो अच्छा रहेगा। सुरेश के पिता ऐसे अवसरों पर बहुत ही लाभदायक भूमिका में रहते हैं। वे एक अच्छे श्रोता हैं और अकसर बातचीत के महत्वपूर्ण बिंदुओं को प्रायः वे लिख लिया करते हैं। साथ ही सुरेश ने अपनी कम्पनी की मैनुफैक्चरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट मैनेजर किशोर को भी मीटिंग में उपस्थित रहने के लिए कह दिया।


शेष फिर,

केशव राम सिंघल 



शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

व्यक्ति बनाम व्यवस्था

व्यक्ति बनाम व्यवस्था

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एक ख़राब प्रणाली या व्यवस्था एक अच्छे इंसान को हर बार हरा देगी। हमेशा प्रणाली, व्यवस्था और प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान दें। 

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डब्ल्यू एडवर्ड्स डेमिंग (व Edwards Deming) एक प्रसिद्ध सांख्यिकीविद्, प्रोफेसर, लेखक, व्याख्याता और सलाहकार थे। उन्होंने एक बार कहा था, "एक ख़राब प्रणाली या व्यवस्था हर बार एक अच्छे इंसान को हरा देगी।" (A bad system will beat a good person every time.) उनका इरादा समस्याओं या विफलताओं के लिए केवल व्यक्तियों को दोष देने के बजाय किसी संस्था के भीतर समग्र प्रणाली और प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व को उजागर करना था।








साभार - प्रतीकात्मक चित्र AI की सहायता से निर्मित 


डेमिंग समग्र गुणवत्ता प्रबंधन (TQM) के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने इस विचार पर जोर दिया कि किसी संस्था के भीतर अधिकांश मुद्दे प्रणालीगत समस्याओं के परिणाम हैं, न कि व्यक्तिगत अक्षमता के। उनका कहना था कि भले ही आपके पास प्रतिभाशाली और नेक इरादे वाले व्यक्ति हों, यदि वे किसी त्रुटिपूर्ण या अक्षम प्रणाली में काम कर रहे हैं, तो उनके प्रयास विफल हो जाएंगे और प्रणाली प्रबल हो जाएगी।


दूसरे शब्दों में, व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर सकते हैं, लेकिन यदि वे खराब डिज़ाइन वाली या अकुशल प्रणाली से बाधित हैं, तो उनके प्रयासों से इष्टतम परिणाम नहीं मिलेंगे। ख़राब व्यवस्था के कारण वे अपने प्रयासों में असफल होंगे। डेमिंग ने प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की वकालत की जिसमें प्रक्रियाओं और प्रणालियों में निरंतर सुधार, गुणवत्ता की संस्कृति को बढ़ावा देना और कर्मचारियों को सुधार में योगदान करने के लिए सशक्त बनाना शामिल है। इस दर्शन का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है, जहाँ व्यक्ति उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें और संस्था की सफलता में सार्थक योगदान दे सकें।


संक्षेप में, डेमिंग का वक्तव्य संस्था को चीजों के गलत होने पर केवल व्यक्तियों पर दोष मढ़ने के बजाय बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी प्रणाली, व्यवस्था और प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देता है।


सादर,

केशव राम सिंघल